किसी की दुनिया बनते हो ,
किसी को छुकर गुज़र जाते हो,
हर किनारा मंजिल तो नही होता,
हर मंजिल पर रास्ता ख़तम तो नही होता ...
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चाहे भुला दे हम हर गम,
निशान पीछे छुट ही जाते हैं,
जैसे ही लगता है संभल गए हैं हम,
फिर ठोकर खाकर गिर जाते हैं ...
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तुम्हे ना मिले कभी,
यह दुआ हम रोज़ करते हैं,
फिर सोचते हैं इन यादों से,
क्या हम ही दूर भागते हैं ?